348 कर्म
‘‘अच्छा, तो आप कर्म किसे कहते हैं?’’
‘‘कर्म वह है जो बंधन में न बाॅंधे।’’
‘‘तो वे कर्म जो बंधन में बाॅंधते होे, उन्हें क्या कहेंगे?
‘‘अन्य सभी कर्म आयास मात्र हैं।’’
‘‘आपके अनुसार विद्या किसे कहा जाय?’’
‘‘विद्या वह है जो कर्म बंधन से मुक्त कर दे।’’
‘‘तो अन्य विद्याएं क्या है?’’
‘‘ वे सब केवल कौशल हैं।’’