Monday, 5 October 2020

343 व्यसन दूर करने का उपाय

नकारात्मक बातों या दुव्र्यसनों को हटाने के लिये इस प्रकार के लोगों के मन को धनात्मक दिशा में मोड़कर सात्विक कार्यों में लगा देना चाहिए। जो दुव्र्यनों के आदी हो चुके हैं उनके साथ वह व्यवहार करना चाहिए जिससे वे लम्बे समय तक उन वस्तुओं या उस प्रकार के लोगों से दूर रहें। उनसे यह कहना कि, ये मत करो, वह मत पियो, यह बुरा है आदि, तो  व्यर्थ होगा क्योंकि यह तो नकारात्मक साधन होगा। यदि कहा जाय कि ‘‘शराब नहीं पियो’’, तो यह तो उस शराबी के मन में ‘‘शराब की संकल्पना ’’ को भर देना ही हुआ अतः वह शराब पीने की आदत को छोड़ पायेगा यह असंभव है। इस प्रकार तो शराब को नकारात्मक प्रचार देकर हम उसके मन के चिन्तन का विषय बना रहे होते हैं। अतः जब भी मौका मिलेगा वह फिर से पीने लगेगा। इसलिये नकारात्मक पहल करने से शराबी को प्रोत्साहन ही मिलता है और वह शराब पीने का अधिक अभ्यस्त हो जाता है। 

 आजकल जगह जगह पर ‘‘ धूम्रपान करना वर्जित है’’ के नोटिस लगे पाए जाते हैं, परन्तु इससे धूम्रपान करने वालों की संख्या में कमी नहीं आती। यदि समाज चाहता है कि वे लोग धूम्रपान करना छोड़ दें तो उनका मन किसी दूसरे रचनात्मक कार्यों जैसे, नृत्य, गीत, संगीत, कला और संस्कृति की ओर मोड़ देना चाहिए। इस प्रकार जब उसका मन इन कामों में उलझा रहेगा तो उसे धूम्रपान की याद ही नहीं आ पाएगी। लेकिन वह व्यक्ति जो कहता है कि वह परसों से शराब पीना छोड़ देगा या कहे कि कल से छोड़ दूंगा तो वह कभी नहीं छोड़ सकता क्योंकि शराब उसके मन में मानसिक विषय के रूप में बनी रहती है। मन वही कार्य करता है जिसके बारे में वह बाहरी संसार में सोचता है, प्रकृति का यही नियम है। यदि कोई व्यक्ति साधना नियमित रूपसे करता है तो उसे धनात्मक परिणाम अपेक्षतया शीघ्र प्राप्त होने लगते हैं। साधना और योगासनों का वह प्रभाव होता है कि जन्मजात अपराधी का मन भी रूपान्तरित होकर सात्विक हो जाता है।


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