Friday, 23 March 2018

183 अनेक भाषाओं का उद्गम कैसे ?

183 अनेक भाषाओं का उद्गम कैसे ?
जब कोई शीघ्रगामी घोड़ा अपने खुरों के बल तेज चलता है तो तुर तुर तुर की आवाज करता है। इसलिए कहा गया तुरग या तुरंगा या तुरंगामा (अर्थात् घोड़ा ) । वह पशु जो गति करने पर कुर कुर कुर की आवाज करता है उसे कुरग या कुरंग या कुरंगामा ( अर्थात् हिरण) कहने लगे। जिस वस्तु से मन पर धव धव धव का संवेदन होता है एसे धवल अर्थात् सफेद कहा गया। इसी आधार पर मनुष्यों ने अपने मन के विचारों को व्यक्त करने के लिए अनेक शब्द और क्रिया रूप बनाए । शब्दों के निर्माण करने की इस विधि को ‘‘ ध्वनिक व्युत्पत्ति ’’ कहते हैं। संसार की सभी भाषाओं के मूल क्रिया रूप इसी प्रकार बनाए गए हैं।
इन मूल क्रिया रूपों में उपसर्ग और प्रत्यय जोड़ कर अनेक प्रकार के शब्द बनाए गए। संसार की प्रतिष्ठित भाषाओं में से चार भाषाओं को मूल भाषाएं कहा जा सकता है। ये हैं, वैदिक, लैटिन, हिब्रू और पुरानी चीनी। यदि कोई इन भाषाओं के उद्गम और शब्दकोष के बारे में परीक्षण करता है तो वह पाएगा कि इन सभी की विधियाॅं एक समान रही हैं अर्थात् ध्वनियों को सुनने के अनुभव पर उत्पन्न विचारों के आधार पर हैं। समय के आगे बढ़ने के साथ ही इनसे अन्य भाषाओं और उनसे  और दूसरी  भाषाओं का उद्गम होता गया  परन्तु उन सभी के मौलिक क्रिया रूप इन्हीं चार भाषाओं से लिए जाते रहे। जैसे, संस्कृत, वैदिक से आई और, संस्कृत से अनेक भारतीय भाषाओं को जन्म हुआ जैसे हिन्दी, बंगाली , गुजराती, मलयालम और अन्य इन्डोआर्यन भाषाएं।  यही लेटिन, पुरानी चीनी और हिब्रू के साथ भी हुआ।

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