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घातक मानसिक बीमारी
दूसरों को शोषित कर स्वयं को धनी बनाने की इच्छा एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। यथार्थ यह है कि यदि मानव मन अपनी ‘अनन्त’ लालसा को उचित मानसिक नेतृत्व और आध्यात्मिक संतुष्ठी प्राप्त न करा सके तो वह दूसरों के अधिकार को छीनकर भौतिक सम्पदा को संग्रह करने में जुट जाता है। जब किसी संयुक्त परिवार का सदस्य बल या बुद्धि का प्रयोग कर घर के किचिन से खाद्य सामग्री छीन लेता है तो वह अन्य सदस्यों को भूखा रखने का कारण बनता है। इसी प्रकार जब पूंजीपति कहते हैं कि हमने अपनी बुद्धि और पराक्रम से धनार्जन किया है; यदि अन्य लोग भी अपनी क्षमता और पराक्रम का उपयोग कर धनार्जन कर संग्रह करते हैं तो वे करें, उन्हें कौन रोकता है? तब वे यह अनुभव नहीं करते कि धरती पर आवश्यक वस्तुओं और संसाधनों का भंडार सीमित ही है जबकि आवश्यकताएं सबकी समान हैं। अत्यधिक व्यक्तिगत सम्पन्नता, अधिकांश मामलों में दूसरों को उनके जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं से वंचित करती है। भोजन, वस्त्र, आवास, चिकित्सा, शिक्षा और सुरक्षा ये सामान्य जीवन की मौलिक आवश्यकताएं हैं। जैसे जैसे चेतना की सक्रियता बढ़ती जाती है इन मौलिक आवश्यकताओं के प्रति जागरूकता भी बढ़ती जाती है। इस वैज्ञानिक युग में अब लोग इन सब के प्रति जागरूक हो चुके हैं अतः अब वे ही राजनैतिक पार्टियाॅं शासन करने में सफल हो सकेंगी जो भृष्ट आचरण को छोड़कर जन सामान्य की इन मौतिक आवश्यकताओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का व्रत लेने का साहस कर सकेंगी।