- धार्मिक मनोविज्ञान के अनुसार भारत में गेरुआ रंग के वस्त्र बहुत कुछ अर्थ रखते हैं। इस रंग को बहुत ही आदर से देखा जाता है इतना ही नहीं इसके संबंध में कहा जाता है कि जो भी इस रंग के कपड़े पहिने हो उसके गुणों और अवगुणों पर ध्यान नहीं देना चाहिये। इस प्रकार के व्यक्ति को महान समझकर आदर देना चाहिये क्योंकि वह तुम्हें वरदान दे सकता है। यह भावजड़ता है।
- भारतीय समाज में सामान्यतः जिसके बाल सफेद हो गये हों, दाढ़ी मूछे सफेद हो गये हों त्वचा सिकुड़ गयी हो, इसे भी योग्यता मानी जाती है भले ही वह पाखंडी हो।
- जिसके पास धन होता है उसे भी विशेष योग्यता माना जाता है। शहरों में सबसे अधिक धनी होने वाले को महत्वपूर्ण माना जाता है।
परन्तु ध्यान रखना चाहिये कि इस विषय में तर्क नहीं कर्म ही किसी की उत्कृष्टता को निर्धारित करते हैं । चरित्र ही धर्म का प्रधान घटक है, इसलिये जो सदाचारी और चरित्रवान हैं वे निश्चय ही परमात्मा को पा सकेंगे। तुम्हारा आदर्श, तुम्हारे चरित्र से ही प्रकट होता है उसके लिये तुम्हारी शिक्षा और सामाजिक आर्थिक स्तर कोई महत्व नहीं रखता। इसलिये वे, जो समाज को रास्ता दिखाने की जिम्मेवारी लेते हैं उनका चरित्र सर्वोच्च स्तर का होना चाहिये। उन्हें अपने सभी साथियों को साथ लेकर सार्वभौमिक विकास और श्रेय की ओर चलना चाहिये। वे लोग जो अपने आचरण से इस प्रकार का व्यवस्थित व्यवहार दूसरों को सिखाते हैं उन्हें ही आचार्य कहते हैं।
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