Monday 17 February 2020

297 बहुत कठिन है डगर .. ..



बहुत कठिन है डगर .. ..

 दादी माॅं को मृत्युशैया पर देख परिवार के सभी सदस्य उनके चारों ओर एकत्रित हो गए। और वे, उन सबसे यह पूछने में व्यस्त थी कि ‘‘आज क्या पकाया गया है? घर के सभी कमरों को ठीक ढंग से धोया गया है कि नहीं? सभी ने स्नान कर लिया या नहीं ?‘‘  
  सदस्यों ने निवेदन किया कि, ‘‘ माॅं काम की चिन्ता मत करो, सब होता जा रहा है, तुम तो हरि हरि बोलो‘‘ ।
उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया और बोलीं, ‘‘ अरे ! गायों को चारा डाला है या नहीं ?‘‘ 
 धार्मिक मान्यता के अनुसार सभी सदस्य चाहते थे कि उनकी मुक्ति हो, इसलिए वे उन्हें बार बार हरि हरि बोलने के लिए समझा रहे थे, 
‘‘ माॅं ! घर के सभी कामकाज सही समय पर उचित ढंग से किये जा रहे हैं तुम्हें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, तुम तो केवल हरि हरि बोलो ।‘‘ 
दादी ने इसे फिर से अनसुना कर दिया और पूछने लगी, ‘‘ अरे ! कुत्ते को कुछ खिलाया या भूखा ही बैठा है ?‘‘ 
सदस्यों ने उनसे हरि हरि बोलने के लिए फिर से प्रार्थना की। इस बार वह झल्लाते हुए बोली, 
‘‘  सब लोग यहाॅं से बाहर जाओ ! क्या मैं मर रही हॅूं ? एक ही नाम की बार बार रट लगाए हो ? ए छोटी बहु !आँगन  में जाकर देख कपड़े सूख गए होंगे, उठा ला।  ‘‘  
बाहर आकर उनके छोटे बेटे ने अपने बड़े भाई से पूछा, 
‘‘भैया ! माॅं को यह क्या हो गया है ? हरि हरि बोलने में उन्हें कठिनाई क्यों हो रही है ?‘‘ वह बोले,
‘‘ परिवार पर हमेशा अपना वर्चस्व बनाते बनाते उनके विचार घर गृहस्थी तक ही सीमित हो गए हैं इसके आगे भी कुछ होता है, वे नहीं जानती।‘‘

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