महत्वपूर्ण चिन्तन का विषय
(1)वे बहादुर सैनिक जो इस्लामिक धर्म की स्थापना के लिए युद्ध अर्थात् ‘जेहाद’ में भाग लेते हैं, अरबी भाषा में उन्हें ‘मुजाहिद’ कहा जाता है। वे मुजाहिद जो इस युद्ध में अपने प्राण त्याग देते हैं उन्हें ‘शहीद’ कहा जाता है; और वे जो यह युद्ध जीतकर जीवित बच जाते हैं उन्हें ‘गाजी’ कहा जाता है।
(2)इसी प्रकार क्रिश्चियन धर्म की स्थापना के लिए युद्ध जिसे ‘क्रुसेड’(crusade) कहा जाता है, में अपने प्राण त्याग करने वालों को ‘मार्टर’ (martyr) कहा जाता है।
प्रश्न यह है कि हमारे उन बहादुर वंशजों को जो अपने देश की रक्षा जैसे महान कार्य में अपने प्राण न्यौछावर करते हैं अथवा जनसामान्य की भलाई जैसे किसी अन्य महान कार्य के लिए अपना जीवन त्याग कर देते हैं उन्हें किस तर्क के आधार पर ‘शहीद’ कहा जाना उचित है? इसके बदले में उन्हें ‘‘दधीचि’’ कहा जाना अधिक उपयुक्त और सार्थक लगता है क्योंकि महर्षि दधीचि ने जनसामान्य की भलाई के लिए अपने जीवन का त्याग (sacrifice) किया था। उन्होंने अपना जीवन ‘जिहाद’ या ‘क्रुसेड’ में नहीं त्यागा था।
अब सोचिए,
भारत में, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सम्पूर्ण देश की जनता के हित में प्राण न्यौछावर करने वालों जैसे, शहीद चंद्रशेखर आजाद, शहीद भगतसिंह और अनेक अन्य बहादुरों ने क्या ‘इस्लाम’ की स्थापना के लिए अपना सर्वस्व त्यागा था जो उन्हें अरबी भाषा में ‘शहीद’ कहा जाता है?
भारत के इन अमर वीरों को उचित आदर देने के लिए हिन्दी अथवा संस्कृत का उपयुक्त शब्द है ‘दधीचि’, जिसका उपयोग नहीं किया जाता है, क्या यह सही है?
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