Saturday, 21 March 2020

303 कोरोना

 कोरोना
भारतीय दर्शन में हमारे पूर्वजों ने सभी को स्वस्थ, सुखी और आनन्दमय जीवन जीने के लिए अपने गहरे अनुभवों और अनुसंधान से प्राप्त कुछ सूत्रों को समझाया है जिन्हें ‘नियम’ और ‘यम’ कहा जाता है। उन्होंने यह भी समझाया है कि इनका पालन न करने वाले कभी सुखी नहीं रह सकते। 
सभी की जानकारी के लिए यह बता देना उचित है कि ये नियम और यम क्या हैं। पाॅंच ‘नियम’ इस प्रकार हैं, ‘‘शौच’’ (भीतर और बाहर की सफाई कर प्रतिदिन स्वच्छ रहना), ‘‘संतोष’’ (जो भी प्राप्त है उसमें संतोष रखना न कि दूसरों को देखकर अंधी होड़ में दौड़ पड़ना), ‘‘स्वाध्याय’’ (सच्चे और हितकारक साहित्य का अध्ययन करना), ‘‘तप’’ (अपने मन और वाणी पर नियंत्रण रखना), ‘‘ईश्वर प्रणिधान’’(परमसत्ता के साथ अपने मन का तारतम्य जोड़े रखने का प्रयत्न करते रहना) आदि। इसी प्रकार पाॅंच ‘यम’ इस प्रकार हैं; ‘अहिंसा’(किसी भी प्राणी को मन कर्म और वचन से कष्ट न देना), ‘सत्य’(यथासंभव सच बोलना), ‘अस्तेय’(बिना पूछे किसी की कोई भी वस्तु न लेना), ‘ब्रह्मचर्य’(सम्पूर्ण जगत को ब्रह्म स्वरूप अनुभव करना), ‘अपरिग्रह’(आवश्यकता से अधिक धन या अन्य वस्तुओं का संग्रह न करना)।
अब विचार कीजिए ‘‘करोना वायरस’’ द्वारा किए जा रहे जन संहार पर। चीन में जन्मा यह घातक वायरस आज पूरे विश्व को जकड़ चुका है। इसका अभी तक कोई इलाज भी नहीं खोजा जा सका है। चीन की संस्कृति में मांसाहार की प्रधानता है, यम नियम का पालन करना तो कभी स्वप्न में भी नहीं देखा जाता इसलिए इस प्रकार की महामारियों को पनपने का अनुकूल अवसर मिलता है । चीन से संपर्क में आने वाले लोगों के द्वारा आज यह विश्व को अपनी चपेट में लेकर कुहराम मचा रहा है। अब प्रचार किया जा रहा है कि अनेक बार साबुन से हाथ धोएं, भीड़ में न जाएं, सेनीटाइजर का उपयोग करें , घर के भीतर रहें, बाहर जाएं तो माॅस्क पहने, घर पर रहकर ही कार्यालयीन कार्य करें ताकि इस महामारी को और अधिक फैलने से रोका जा सके। कुछ समय के लिए सभी प्रकार के आवागमन के साधान रोक दिए गए हैं। भीड़ एकत्रित करने वाले उपक्रमों जैसे माल, सिनेमा, बाजार आदि को बंद कर दिया गया है। ठीक है, हमें ये सभी उपाय करना चाहिए परन्तु ‘करोना’ के कारण ही सही, हम अपने पूर्वजों के द्वारा सुझाई गई जीवन पद्धति को याद कर लें और ‘‘यम तथा नियम’’ ईमानदारी से पालन करना प्रारंभ कर दें तो न केवल इस प्रकार की प्राण घातक बीमारियों से बचे रहेंगे वरन् स्वस्थ, सुखी और सानन्द जीवन को जी सकेंगे।

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