Friday 15 July 2022

383 हिप्नोटिज्म अर्थात् ‘आउटर सजैशन’’

  

मनोविज्ञान(साइक्लाजी) में, जब किसी एक व्यक्ति के ‘मन’ के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के मन पर लगातार विशेष प्रकार के संवेदनों की आवृत्तियॉं डाली जाती हैं तब इसे ‘‘आउटर सजैशन’’ कहा जाता है। जब बाहरी संसार की वस्तुओं की तथ्यात्मकता को हमारे ब्रेन के ‘‘एक्टोप्लाज्मिक’’ सैलों द्वारा विषयगत बना लिया जाता है तो हम कहते हैं कि हमने उसे जान लिया या समझ लिया है। यदि इन एक्टोप्प्लाज्मिक सैलों की ऊर्जा या ज्ञान शक्ति को किसी व्यक्ति विशेष के मन पर केन्द्रित कर दिया जाय तो वह व्यक्ति भी वही सोचेगा और समझेगा जो एक्टोप्लाज्मिक सैलों को नियंत्रित करने वाला व्यक्ति समझाना चाहेगा। ज्ञान का यह क्षेत्र ‘योग मनोविज्ञान’ के अन्तर्गत आता है और यह विद्या संस्कृत में राक्षसी विद्या और अंग्रेजी में ‘हिप्नोटिज्म’ कहलाती है। कुछ लोग इन सैलों के नियंत्रण का अभ्यास कर उसका दुरुपयोग करने लगते हैं और भूतप्रेतों के नाम से लोगों को डराने लगते हैं। बाहरी संसार में उनकी गतिविधियों के प्रभाव अनुभव भी किये जाते हैं। इनसे मुक्त होने का एक मात्र उपाय है उस व्यक्ति के एक्टोप्लाज्मिक सैलों के संतुलन को बिगाड़ देना। परन्तु कैसे? इसका एक दृष्टान्त रामायण में इस प्रकार दिया गया है। 

‘‘अंगद जब रावण से मिलने पहंॅुचे तो दरवार में रावण के साथ साथ उन्नीस मंत्री और रावण का पुत्र इंद्रजीत अर्थात् मेघनाथ बैठे थे। सभी मंत्रियों ने अंगद को भ्रमित करने के लिए एक साथ सोचना प्ररंभ कर दिया कि उनका आकार भी रावण के समान हैं। सबों के मन से निकलने वाली मानसिक तरंगों ने अंगद के मन को चक्कर में डाल दिया, उसे बीस रावण दिखाई देने लगे। मेघनाद मंत्रियों की तरह नहीं सोच रहा था अतः वह अपने ही रूप में दिखाई दे रहा था अन्य सभी बिलकुल रावण की तरह ही दिखाई दे रहे थे। उनके भौतिक शरीर बिलकुल स्थिर थे। अंगद ने असली रावण को पहिचानने के लिए ट्रिक का उपयोग करते हुए मेघनाद से पूछा, मित्र इंद्रजीत! इस सभा में मैं 20 रावण देख रहा हूंॅ क्या ये सभी तुम्हारे पिता हैं? यह सुनकर सभी मंत्रियों को गुस्सा आ गया और उनके मन के तथ्यात्मक खंडों (अर्थात् एक्टोप्लाज्मिक सैलों)) की स्थिरता भंग हो गई और वे अपने मौलिक रूप में दिखाई देने लगे।’’

कुछ अविद्या तांत्रिकों को इन एक्टोप्लाज्मिक सैलों की सहायता से दूसरों के घरों में हड्डियां फेकने, गंदगी फेकने या तोड़फोड़ करने के किस्से प्रायः जब तब सुनाई देते हैं। सामान्य लोग समझते हैं कि यह सब भूतों के काम हैं। परन्तु सावधानी से 50 मीटर की परिधि में ढूंड़ा जाय तो किसी एकान्त कोने में अविद्या तान्त्रिक सीधा बैठा इन मानसिक सैलों को आदेश देता मिल जाएगा। इसके प्रपंच को हटाने के लिए बिना डरे उसे जोर से हिलाकर सिर में आघात करना होगा तब उसका खेल तुरंत समाप्त हो जाएगा। बाहरी तथ्यात्मकता को विषयगत बनाने के लिए हमें अपने एक्टोप्लाज्मिक सैलों की ऊर्जा को केन्द्रित कर परमपुरुष की ओर संचारित करना चाहिए जिनके जान लेने पर फिर कुछ भी जानना शेष नहीं रहता।


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