Wednesday, 10 December 2014

मध्यान्तर

मध्यान्तर

अभी तक आप लोगों ने मेरे विद्यार्थी जीवन से ही ज्ञान पाने हेतु किये गये संघर्षपूर्ण प्रयत्नों और क्रमागत रूपसे हुई आध्यात्मिक प्रगति का विवरण प्रथम अध्याय में जाना । उस संघर्ष से मेरे मन में जागी उत्सुकता ने विज्ञान सम्मत खोज के लिये उकसाया और जीव जगत , स्पेस टाइम , सोलर सिस्टम और गैलेक्सियाॅं, ब्लेक होल और ब्रह्माॅंड की आयु आदि पर वैज्ञानिक तथ्यों को द्वितीय अध्याय में संकलित करा दिया। इस ब्रह्माॅंड के अकल्पनीय विस्तारित क्षेत्र और उसमें हो रही घटनाओं का चित्रण भी संक्षेप में किया गया जिससे स्पष्ट हुआ कि हमारी पृथ्वी अथवा पूरा सौर परिवार ही आकाषीय गेलेक्सियों और ब्लेक होलों की तुलना में धूल के कण की तरह नगण्य हैं। वैज्ञानिकों की एक बात यह भी महत्वपूर्ण पाई गई कि वह अभी भी स्पेस और टाइम को सही ढंग से पारिभाषित नहीं कर पाये, इतना ही नहीं वे नहीं बता सकते कि बिगबेंग कैसे हुआ और किसके द्वारा हुआ पर वे उस समय की परिस्थितियों को पृथ्वी पर निर्मित करने का प्रयास अवश्य  कर रहे हैं ताकि अब तक अज्ञात उस काल्पनिक ग्रविटान नामक कण का पता लगा सकें जो गुरुत्वाकर्षण के लिये उत्तरदायी है। वर्तमान वैज्ञानिक सिद्वान्तों के अनुसार काॅसमस की उत्पत्ति 13.7 विलियन वर्ष पहले हुई। द्रष्य काॅसमस का व्यास लगभग 93 बिलियन लाईट ईयर माना जाता है और   1040   वर्ष बाद पूरे ब्रह्मांड में केवल ब्लेक होल ही होंगे। 100 बिलियन सोलर द्रव्यमान का ब्लेक होल नष्ट होने में   2x1099    वर्ष लेगा, अतःस्पष्ट है कि ब्रह्मांड में पाये जाने वाले आकाशीय पिंडों अर्थात् ग्रहों, सूर्यों, गेलेक्सियों, ब्लेक होलों या ऊर्जा अर्थात् प्रकाश , विद्युत, रेडियो, और ब्लेकएनर्जी और पृथ्वी जैसे ग्रहों के जीवधारी आदि सभी स्पेस और टाइम के अत्यंत विस्तारित क्षेत्रों में अपना साम्राज्य जमाये हुए हैं परंतु फिर भी वे अनन्त नहीं हैं अमर नहीं हैं।
इस विचार से उत्कंठा हुई कि क्या हमारे हजारों वर्ष पूर्व से प्रतिष्ठित आध्यात्मिक ग्रंथों उपनिषदों और वेदों में अथवा संसार के अन्य दार्शनिक  ग्रंथों में इससे संबंधित कोई जानकारी दी गयी है या नहीं ? अतः उन सिद्धान्तों को समझने और ब्याख्या करने हेतु आवश्यक  अवधारणाओं, तथ्यों और परिभाषाओं के संकलन को दिये गये तीसरे अघ्याय में पढ़कर आपने अवश्य  ही अपनी वर्षों पुरानी मान्यताओं में संशोधन कर लिया होगा क्यों कि यहाॅं आडम्बरी और अतार्किक सामग्री को छोड़ते हुए केवल उन तथ्यों को ही रखा गया है जो विज्ञान सम्मत हैं और आगे के अध्यायों में  दिये जाने वाले विवरण को समझने में सहायक हैं। 
 चौथे अध्याय में संसार में सर्वाधिक चर्चित दो महासंभूतियों भगवान सदाशिव और भगवान श्रीकृष्ण के संबंध में यथार्थ तथ्यों का संकलन कर दिखाया गया है कि समय समय पर स्वार्थी तत्वों द्वारा उन्हें किस प्रकार आडम्बर में लपेटकर अपनी  स्वार्थ सिद्धि का साधन बनाया गया और हजारों वर्षों से जनसामान्य को अंधेरे में रखा गया है।
अब आप अगले अध्यायों में विशुद्ध  आध्यात्मिक ज्ञान को वैज्ञानिक सिद्धान्तों के परिप्रेक्ष्य में पायेंगे और देखेंगे कि ऊपर प्रस्तुत की गई उत्कंठा को संतृप्त करने में यह विवरण किस स्तर तक सफल हो पाया है। इस सामग्री को संकलित करने, ब्याख्या करने या पारस्परिक संबंध स्थापित करने में प्रामाणिक और विज्ञान सम्मत संदर्भ ग्रंथों का ही सहारा लिया गया है जिससे ‘आद्यान्तिका‘ की विश्वश्नीयता   अक्षुण्ण रहे। आशा  है कि हमारे इस प्रयास से, आपके मन में सदियों से बैठाये गये आडम्बरी ज्ञान को दूर करते हुए नये ज्ञान के नये आयाम का सूत्रपात हो सकेगा।

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