Tuesday, 15 August 2017

144 गूंगे का गुड़

144 गूंगे का  गुड़

‘‘ सर ! इस पाठ में लिखा है कि सिद्धार्थ , दुखों का समाधान खोजने के लिए अपना सब कुछ छोड़कर वन को चले गए ?‘‘
‘‘ हाॅं , सही लिखा है ।‘‘
‘‘ लेकिन सर ! राजकुमार सिद्धार्थ ने राजसी शान शौकत, पत्नी, बच्चे  और परिवार को छोड़ कर उचित नहीं किया।‘‘
‘‘क्यों ?‘‘
‘‘ इसलिए कि उनके पिता राजा थे वे अनेक स्थानों के प्रसिद्ध विद्वानों को बुलाकर अपने पुत्र को वाॅंछित ज्ञान उपलब्ध करा सकते थे।‘‘
‘‘ यह सब किया ही गया था, पर वे संतुष्ठ नहीं हुए। राजसी सुख सुविधाओं में रहकर जन सामान्य के शारीरिक और मानसिक कष्टों को वह कैसे समझ पाते ?‘‘
‘‘ परन्तु परिवार छोड़ कर चले जाने में कौन सी बहादुरी थी ? पर्यटन करके भी तो वह इसका अनुभव कर ज्ञान पा सकते थे ?‘‘
‘‘ राजसी सुख सुविधाएं छोड़, हाथ में भिक्षा पात्र लेकर घूमना क्या इतना सरल है ? कभी यह प्रयोग अपने ऊपर करके देखना, कैसा लगता है।‘‘
‘‘ परन्तु जिसे ढूढ़ने के लिए उन्होंने सब कुछ छोड़ा उसके सम्बन्ध में तो उनहोंने  कुछ कहा ही नहीं कि वह है या नहीं या कैसा है ?‘‘
‘‘ सही है। उस परमसत्ता को अपने हृदय के भीतर अनुभव कर लेने के बाद शब्दों में कह पाना बुद्ध तो क्या ! किसी के भी वश में नहीं है, समझे ?‘‘

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