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"ज्ञानी"
ज्ञानियों में यह बड़ा ही विचित्र गुण पाया जाता है कि कोई भी दो ज्ञानी किसी एक विन्दु पर सहमत कभी नहीं होते। अधिकांश ज्ञानी यह मानते हैं कि किसी अन्य विद्वान से सहमत होना अर्थात् अपनी हार मान लेना !!!
परन्तु ज्ञानियों में अनेक दिव्य गुण भी पाए जाते हैं; जैसे, वे मधुर भाषा में सम्भाषण कर सकते हैं, वे अपने ज्ञान की भव्यता से दिन को रात और रात को दिन सिद्ध कर सकते हैं। इतना ही नहीं , यदि कोई व्यक्ति उनकी बात को मानने से अस्वीकार कर देता है तो वे अपने तर्क और स्वनिर्मित सिद्धान्तों को प्रदर्शित कर उसे मूर्ख सिद्ध कर देते हैं। वे इस प्रकार का वातावरण बना सकते हैं कि श्रोता/दर्शक यह अनुभव करने लगते हैं कि उनकी बातें न मानने वाला इतनी सरल सी बात नहीं समझ पाया !!
ज्ञानियों के संबंध में यह भी कहा जाता है कि यदि बहुत से दूध को मक्खन और मठे में परिवर्तित किया जाय तो ज्ञानी लोग मठे के गुणों और दुर्गुणों पर इतनी देर तक तर्क वितर्क करते पाये जाते हैं कि तब तक प्राप्त हुआ मक्खन भी खराब होकर अनुपयोगी हो जाता है!!
"ज्ञानी"
ज्ञानियों में यह बड़ा ही विचित्र गुण पाया जाता है कि कोई भी दो ज्ञानी किसी एक विन्दु पर सहमत कभी नहीं होते। अधिकांश ज्ञानी यह मानते हैं कि किसी अन्य विद्वान से सहमत होना अर्थात् अपनी हार मान लेना !!!
परन्तु ज्ञानियों में अनेक दिव्य गुण भी पाए जाते हैं; जैसे, वे मधुर भाषा में सम्भाषण कर सकते हैं, वे अपने ज्ञान की भव्यता से दिन को रात और रात को दिन सिद्ध कर सकते हैं। इतना ही नहीं , यदि कोई व्यक्ति उनकी बात को मानने से अस्वीकार कर देता है तो वे अपने तर्क और स्वनिर्मित सिद्धान्तों को प्रदर्शित कर उसे मूर्ख सिद्ध कर देते हैं। वे इस प्रकार का वातावरण बना सकते हैं कि श्रोता/दर्शक यह अनुभव करने लगते हैं कि उनकी बातें न मानने वाला इतनी सरल सी बात नहीं समझ पाया !!
ज्ञानियों के संबंध में यह भी कहा जाता है कि यदि बहुत से दूध को मक्खन और मठे में परिवर्तित किया जाय तो ज्ञानी लोग मठे के गुणों और दुर्गुणों पर इतनी देर तक तर्क वितर्क करते पाये जाते हैं कि तब तक प्राप्त हुआ मक्खन भी खराब होकर अनुपयोगी हो जाता है!!
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