Monday, 29 June 2015

3 बाबा की क्लास (अस्तित्व का साक्ष्य)

3 बाबा की क्लास (अस्तित्व का साक्ष्य)
========================

कल आपको, मैंने कुछ लोगों से आत्मा के संबंध में चर्चा करते सुना; बाबा! आत्मा किसे कहते हैं? 
वह कहाॅं रहता है? राजू ने पूछा।

- वह जो तुम्हें तुम्हारे होने का साक्ष्य देता है।  वह तुम्हारे भीतर ही रहता है।

- इसका मतलब क्या है?

- अच्छा तुम हो कि नहीं?

- हाॅं मैं विलकुल हॅूं । इसमें क्या संदेह है?

- तो तुम यह बताओ कि तुमने यह कैसे अनुभव किया कि तुम हो?

- वैसे ही जैसे सब करते हैं।

- वही तो मैं जानना चाहता हॅूं कि सब कैसे अनुभव करते हैं कि वे हैं? उनका अस्तित्व है?

- पारस्परिक सापेक्षता से।

- ठीक कहा। यदि अन्य कोई भी न हों तो कैसे जानोगे?

- कुछ नहीं कह सकता।

- केंचुआ जानता है कि वह केंचुआ है। पेड़ जानता है कि वह पेड़ है। पर सूर्य नहीं जानता कि वह सूर्य है। जबकि सूर्य से ही ऊर्जा पाने वाले हम सब सूर्य के बारे में बहुत कुछ जानते हैं और जानने की कोशिश  कर रहे हैं। किसी को उसके अस्तित्व का बोध और साक्ष्य देने वाली सत्ता को ही जीवात्मा कहते हैं। हम इसे भूलकर, अन्य सब याद रखने और पाने के प्रयास में , अनेक जन्मों तक आवागमन के चक्र में भटकते हुए  कष्ट पाते रहते हैं।

No comments:

Post a Comment