10 कड़ुआ व्रत
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नगर की प्रसिद्ध मिठाई की दूकान पर एक दिन महिलाओं की भीड़ देख उत्सुकता वश उस ओर मेरी आॅंखें और कान त्वरित गति से जा पहुंचे । हलवाई और उसके दो ग्राहक मित्र चर्चा कर रहे थे।
- शायद आज कोई महिलाओं का व्रत है इसी लिये दूकान पर इतनी भीड़ है।
- अरे ! आज नहीं कल कडुआ चौथ है न। क्यों भाईसाहब?
- अबे कड़ुआ नहीं करवा चौथ!
- अरे...! मेरे लिये तो कड़ुआ ही है।
- क्यों?
- इसलिये कि आठ दस हजार की दच्च लगेगी।
- अजीब बात है व्रत तो महिलाओं का है उसमें तुझे क्या?
यह सुनकर हलवाई बोला, तुम क्या जानों ये प्रपंच, अकेले हो न? जब पत्नी आयेगी तब समझोगे, महिलायें यह व्रत अपने अपने पतियों की दीर्घायु के लिये करतीं है हः हः हः। तो? ?... पति का फर्ज भी कुछ बनता है कि नहीं, कम से कम एक बढि़या साड़ी और एक सोने की अंगूठी तो उपहार में देना ही पड़ेगी? तभी तो प्रकट होगा कि दोनों के प्रेम में कितनी प्रगाढ़ता है। .....ये भाई साहब, इसी दच्च की बात कर रहे हैं......।
- अरे! यह भी कोई बात हुई? मेरे भोजन न करने से हो सकता है कि मेरे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़े और मेरी आयु भी बढ़ जाये परंतु किसी और की आयु कैसे बढ़ सकती है?
- यार ! बात तो तूने सही कही है पर जब से इन टीव्ही सीरियलों ने धूम मचाई है तब से किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित रहने वाली स्थानीय रूढि़वादी परंपराओं का लगातार प्रसार हो रहा है, और महिलायें अपने को उनमें ढाल रही हैं।.... पहले ये सब अपने एरिया में कहाॅं होते थे?
- लेकिन यार! यह बात अवश्य सोचने विचारने की है कि साल में प्रत्येक माह में अनेक इस प्रकार के व्रत, उपवास और पूजापाठ के प्रदर्शन महिलाओं में ही क्यों देखे जाते हैं? ? ?... ...
इन बातों को सुनकर हलवाई बोला, सब आडंबर है.... जो अंतरंग प्रेमी होते हैं वे हृदय से इसे अनुभव करते हैं और अपने आचरण, स्नेह और समर्पण से सब को मोह लेते हैं चाहे वे पति पत्नी हों, भाई बहिन या माता पिता। उन्हें परस्पर यह कहना नहीं पड़ता कि ‘‘आई लव यू‘‘ / ‘‘ आई लव यू टू‘‘। इस के प्रदर्शन के लिये उन्हें कोई व्रत या उपवास भी, कभी नहीं करना पड़ता....।
यह सुन कर मेरे मन में उस निर्माणाधीन मकान में मजदूरी कर रहे जग्गू ,उसकी पत्नी और दो बच्चों के बीच पारस्परिक समन्वय और समर्पण का द्रश्य कौंध गया।
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