कौटिल्य अर्थात चाणक्य से मिलने आये एक विद्वान ने उनसे पूछा -
"आपके कितने बँधु बांधव हैं और वे कहाँ रहते हैं?"
चाणक्य बोले "छह बंधु बांधव हैं और वे मेरे साथ ही रहते हैं।" विद्वान ने फिर कहा - "यहाँ तो छह हाथ लम्बी और छह हाथ चौड़ी झोपड़ी ही दिखाई दे रही है वे सब कहाँ है? परिचय तो कराओ ?"
चाणक्य बोले -
"सत्यम माता पिता ज्ञानं बुद्धिर्भ्राता दया सखा
शांतिः पत्नी क्षमा पुत्रो षष्ठेते मम बान्धवा। "
अर्थात सत्य मेरी माता हैं पिता ज्ञान हैं बुद्धि भाई और दया सखा हैं , शांति पत्नी और क्षमा पुत्र है, यही मेरे छह बँधु बांधव हैं।
विद्वान महोदय , साधो! साधो! साधो! कहते अश्रुपात करते रहे।
No comments:
Post a Comment