Thursday, 18 May 2017

125 कल्पतरु

125 
कल्पतरु

एक सज्जन, ईश्वर से धनधान्य और भौतिक सुखसुविधाएं पाने के लिए अनेक वर्षों से लगातार प्रार्थनाएं कर रहे थे। अन्ततः भगवान ने भी उनकी सुन ही ली । वह उनके सामने प्रकट होकर बोले,

 ‘‘ भक्त ! तुम जानते हो कि मैं सभी लोगों को उनके जन्म के समय ही आवश्यक सभी भौतिक सुविधाएं दे दिया करता हॅूं, परन्तु तुम लम्बे समय से बार बार प्रार्थना कर रहे हो इसलिए अतिरिक्त भौतिक सुख सुविधायें चाहते हो तो सशर्त ही उन्हें दे सकूंगा, बोलो क्या चाहते हो ? ‘‘
कौन सी शर्त ? प्रभो !‘‘
‘‘ यही कि तुम जो भी माॅंगोगे उसका दुगना तुम्हारे पड़ौसी को प्राप्त हो जाएगा ‘‘

सज्जन बड़े ही पशोपेश में पड़ गए, और लगातार सोचने लगे कि यदि धन, फेंसी कार , बंगला आदि मांगा तो क्या होगा !!  बहुत सोचने के बाद अन्त में बोले,
‘‘ प्रभो ! मेरा एक हाथ और एक पैर टूट जाए ‘‘

यह सुनकर भगवान भी चकित रह गए और बोले,
‘‘ तुम इतने दिनों से धन, वैभव और सम्पन्नता पाने के लिए प्रार्थनाएं करते रहे हो , पर आज क्या हो गया ?‘‘

‘‘ प्रभु ! वरदान देने का यह भी कोई तरीका हुआ ? मैं नहीं चाहता कि मेरा पड़ौसी मुझसे अधिक प्रसन्न हो, इसलिए मैं अपने लिए कष्ट माॅंगता हूॅं ताकि शर्त के अनुसार पड़ौसी को मुझसे दुगना कष्ट हो ।‘‘

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