सच्चे अनुयायी
भगवान बुद्ध के कार्यकाल में ही बौद्ध धर्म के अनुयायी दो पड़ौसी देशों में युद्ध छिड़ गया। दोनों देशों के योद्धाओं की पत्नियाॅं, माताएं, बहिनें भगवान बुद्ध से क्रमशः अपने अपने पतियों, पुत्रों, भाइयों को विजयी होकर सकुशल वापस घर लौटने की प्रार्थना करने उनके पास पहॅुंची। बुद्ध पूरे समय चुपचाप बने रहे।
बाद में उनके सेवक ने पूछा, "भगवन्! आपने किसी भी देश की महिलाओं की प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया; वे सभी बड़ी आशा से आपका आशीष लेने दूर दूर से आपके पास आई थीं, दोनों ही देशों के नागरिक आपके भक्त हैं?"
भगवान बुद्ध ने कहा, ‘‘यदि वे सच्चे बौद्ध होते तो युद्ध कभी न करते।’’
भगवान बुद्ध के कार्यकाल में ही बौद्ध धर्म के अनुयायी दो पड़ौसी देशों में युद्ध छिड़ गया। दोनों देशों के योद्धाओं की पत्नियाॅं, माताएं, बहिनें भगवान बुद्ध से क्रमशः अपने अपने पतियों, पुत्रों, भाइयों को विजयी होकर सकुशल वापस घर लौटने की प्रार्थना करने उनके पास पहॅुंची। बुद्ध पूरे समय चुपचाप बने रहे।
बाद में उनके सेवक ने पूछा, "भगवन्! आपने किसी भी देश की महिलाओं की प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया; वे सभी बड़ी आशा से आपका आशीष लेने दूर दूर से आपके पास आई थीं, दोनों ही देशों के नागरिक आपके भक्त हैं?"
भगवान बुद्ध ने कहा, ‘‘यदि वे सच्चे बौद्ध होते तो युद्ध कभी न करते।’’
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