Tuesday, 8 January 2019

232 बाबा की क्लास: ध्वनि, अक्षर, बीज मंत्र और विचार(6)

232 बाबा की क्लास: ध्वनि, अक्षर, बीज मंत्र और विचार(6)
आइए आज वर्णमाला के व्यंजनों में से ‘‘चवर्ग’’ और ‘‘टवर्ग’’ पर विचार करेंः-

विवेक का ध्वन्यात्मक मूल ‘च‘ है।
विकलता वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल ‘छ‘ है। इस वृत्ति में किसी का मन अच्छी तरह कार्य करते करते अचानक या तो कार्य करना बंद कर देता है या उल्टा पुल्टा कार्य करने लगता है। इसे ही nervous breakdown
 कहते हैं।
यह अहंकार वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। इस वृत्ति के लोग प्रायः यह कहते हैं कि मैं ने यह कार्य न किया होता तो होता ही नहीं आदि आदि...।
यह लोलुपता और लोभ वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है।(inyan)
´ (inyan)
कपटता या पाखंड वृत्ति का यह ध्वन्यात्मक मूल है। इस वृत्ति के लोग दूसरों को ठग कर अपना काम निकालते हैं, या अपने को नैतिक बता कर दूसरों के पापों की आलोचना करते हैं और छिपकर वे पाप स्वयं करते हैं या दूसरे के अज्ञान या कमजोरी का फायदा उठा कर अपने आपको प्रभावी बनाते हैं।
यह वितर्क वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। यह वृत्ति बातूनीपन और बुरे स्वभाव का मिश्रण है। इस प्रकार के लोग अपने को वादविवाद के स्पर्धी मानते हैं पर यह अर्धसत्य है। पर यह कषाय वृत्ति का समानार्थी नहीं हैे। जैसे, आप रेलवे स्टेशन पर किसी सज्जन से विनम्रता पूर्वक पूछें कि अमुक ट्रेन क्या निकल चुकी है और वे सज्जन कहें कि कैसे मूर्ख हो ? क्या मैं रेलवे का आफिस हूॅं? या मैं कोई रेलवे का टाइम देबिल हूँ , तुम्हारे जैसों के कारण ही देश  नर्क की ओर जा रहा हैं? बगल में खड़े किसी अन्य ने तुम से कहा अभी इस ट्रेन में पाॅंच मिनट हैं, अमुक प्लेटफार्म पर जल्दी पहुॅंचो तो पकड़ लोगे। पहले व्यक्ति की अनियंत्रित कुतर्क वृत्ति और दूसरे व्यक्ति का कथन प्रमित वाक् कहलायेगा।
यह अनुताप या पछतावे /पश्चाताप  की वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है।
यह लज्जा वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है।
पिशूनता वृत्ति का यह ध्वन्यात्मक मूल है। व्यर्थ ही किसी को दुखद मृत्यु देना पिशूनता है पर जिस प्रकार मास खाने वाले लोग जीवों को थोड़ा काट काट कर मारते हैं यह पिशूनता नहीं हैं। यह वृत्ति नव्यमानवतावाद के विरुद्ध है।
यह ईर्ष्या  वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है।
क्रमशः ---

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