234 बाबा की क्लास: ध्वनि, अक्षर, बीज मंत्र और विचार (8)
सभी स्वरों और व्यंजनों के बाद आइए अब वर्णमाला के शेष अक्षरों पर विचार करें।
य
यह अविश्वास और वायु की भाॅंति गतिशीलता वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है।
र
यह अग्नितत्व या प्राणशक्ति वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। यह सर्वनाश के विचार का भी बीज है।
ल
यह क्रूरता वृत्ति और क्षिति तत्व अर्थात् ठोस घटक का ध्वन्यात्मक मूल है।
व
यह धर्म तथा जलतत्व का ध्वन्यात्मक मूल है। धर्म का अर्थ है किसी को अपने स्वरूप में छिपाना या आश्रय दिलाना तथा जल तत्व का अर्थ केवल पानी नहीं कोई भी द्रव पदार्थ। यह पौराणिक देवता वरुण का भी बीज है।
श
यह रजोगुण तथा अर्थ का ध्वन्यात्मक मूल है।
स
यह तमोगुण तथा साॅंसारिक इच्छाओं जिसे संस्कृत में "काम" कहते हैं, का ध्वन्यात्मक मूल है।
ष
यह सतोगुण तथा मोक्ष का ध्वन्यात्मक मूल है।
ह
यह आकाश तत्व, दिन के समय, सूर्य, स्वर्लोक, पराविद्या, का ध्वन्यात्मक मूल है। इसके विपरीत ‘ठ‘ है जो रात , चंद्रमा, भुवर्लोक और काममय कोष का ध्वन्यात्मक मूल है। ‘हो‘ शिव का ध्वन्यात्मक मूल है जबकि वे तॅांडव नृत्य कर रहे हों पर शिव का गुरु के रूप में ध्वन्यात्मक मूल है ‘‘ऐं‘‘।
क्ष
यह साॅंसारिक ज्ञान एवं पदार्थ विज्ञान का ध्वन्यात्मक मूल है।
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