Wednesday, 9 January 2019

233 बाबा की क्लास: ध्वनि, अक्षर, बीज मंत्र और विचार (7)


233 बाबा की क्लास: ध्वनि, अक्षर, बीज मंत्र और विचार (7)

अब बारी है ‘‘तवर्ग’’ और ‘‘पवर्ग’’ की । आइए इन पर वचार करें
यह जड़ता वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। गहरी नींद और बौद्धिक तथा आध्यात्मिक अक्रियता का भी यही बीज है।
यह विषाद वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है।
यह चिड़चिडेपऩ वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। जैसे कोई नम्रता पूर्वक किसी चिड़चिड़े व्यक्ति से बोलता  है पर इस वृत्ति वाला उससे  उल्टा ही बोलेगा और यदि कोई उससे कर्कश  बोलता है तो वह धीमे से बोलेगा।
यह तृष्णा वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। धन मान और शक्ति की असीमित चाह रखना तृष्णा कहलाता है।
यह मोह वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। यह समय, स्थान ,विचार और व्यक्ति के अनुसार चार प्रकार की होती है।
यह घृणा वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। यह मनुष्य के आठ पाशों  में से एक है और छः शत्रुओं में से मोह के अधिक निकट है।
यह भय वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। यद्यपि भय एक से अधिक कारणों से होता हेै पर यह  शत्रु से उत्पन्न होता है।
यह अवज्ञा वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। जब कोई अस्वीकार्य बात या वस्तु पर ध्यान नहीं देता उसे उपेक्षा कहते हैं पर जब कोई मूल्यवान बात को नकारता है तो उसे अवज्ञा कहते हैं।
यह मूर्छा वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है। इसका मतलब संवेदनहीनता नहीं है वल्कि षडरिपुओं में से किसी एक के द्वारा सम्मोहित कर सामान्य ज्ञान का लोप कर देना है। 
यह प्रणाश  और प्रश्रय वृत्ति का ध्वन्यात्मक मूल है।

क्रमशः -

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