Thursday 6 November 2014

2.3 हमारी आकाश गंगा और अन्य आकाश गंगायें

2.3  हमारी आकाश गंगा और अन्य आकाश  गंगायें

अब देखिये, हमारा सौर परिवार और इस तरह के लाखों अन्य सौर परिवार जिसमें आश्रय लिये हुये हैं वह है हमारी  गैलेक्सी आकाशगंगा।  कासमस अर्थात् ब्रह्मांड में इस प्रकार की अनगिनत गेलेक्सियां हैं। कुछ का ज्ञात विवरण संक्षेप में नीचे दिया जा रहा है।

Milky way 
 Milky way अर्थात् अपनी आकाश गंगा में अपना सौर परिवार स्थित हैं। इसकी आयु 13.2 बिलियन ईयर है तथा 300 बिलियन तारों को समेटे इसका द्रव्यमान सूर्य की तुलना में 1250 बिलियन गुना है।

Andromeda galaxy

पृथ्वी से 2,5 मिलियन लाइटईयर दूर यह कुंडलाकार एन्ड्रोमेडा गैलेक्सी है। यह एनजीसी 224 या मेसीयर 31 भी कहलाती है। इसकी आयु 9 बिलियन साल है और इसमें 1 ट्रिलियन तारे हैं। अपने सूर्य से इसका द्रव्यमान 1230 बिलियन गुना है।

Whirlpool Galaxy

केन्स वेनाटिकी तारामंडल में स्थित यह व्हर्लपूल कुंडलाकार गेलेक्सी है जो अपनी अंतरक्रिया से भव्य आकार निर्मित करती, पृथ्वी से 23,160,000 लाइट ईयर दूरी पर दिखाई दे रही है। इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से लगभग 160 बिलियन गुना है।

Pinwheel Galaxy

पिनव्हील गेलेक्सी, नासा के चार स्पेस टेलिस्कोपों से देखे जाने पर इसमें इन्फ्रारेड, विजिविल, अल्ट्रावायलेट और एक्स रेज के डाटा पाये गये हैं। इसे एम 101 के नाम से भी जाना जाता है। इसका मल्टी स्पेक्ट्रल दृश्य  प्रकट करता है कि इसकी सघन बनावट वाली कुंडलाकार भुजाओं में नये और पुराने दोनों प्रकार के तारे समान रूप से वितरित हैं। यह अर्सा मेजर तारा मंडल में स्थित है।

Sombrero Galaxy

सोम्ब्रेरो गेलेक्सी, यह अबाधित कुंडलाकार गेलेक्सी है। वर्गो तारा मंडल में स्थित यह हमारी पृथ्वी से 29 मिलियन लाइट ईयर दूर है। इसका चमकदार केन्द्र और असामान्य केन्द्रीय उभार है। इसकी झुकावदार डिस्क पर धूल की प्रमुख रेखा है। इसका द्रव्यमान अपने सूर्य से 1 बिलियन गुना है।


The majestic spiral galaxy NGC 4414

     हबल के वाइड फील्ड प्लेनेटरी केमेरा 2 से 1995 में तेजस्वी कुंडलाकार गेलेक्सी  एनजीसी 4414 का चित्र लिया गया  है जो पृथ्वी से लगभग 60 मिलियन लाइट ईयर दूर है। इसके केन्द्रीय भाग में बहुत पुराने पीले और लाल तारों  की कुंडलियां हैं और बाहरी कुंडलाकार भुजाओं में नीले तारों का निर्माण होता दिखाई दे रहा है। इन भुजाओं में इन्टरस्टैलर डस्ट के घने बादल छाये हुये हैं।


2.4  ब्रह्माॅंडीय माडल

ब्रह्माॅंड का आद्यान्तिका में  दिया गया माडल स्पेसटाइम और जो कुछ उसमें है, के उद्गम और विस्तार को प्रकट करता है। इस चित्र में टाइम को बाये से दांये बढ़ते हुए दर्शाया  गया है तथा स्पेस की एक विमा को दबा दिया गया है अतः किसी भी समय यूनीवर्स को चकती के आकार की पट्टी के रूप में देखा जा सकता है।

इसके बाद  ब्रह्माॅंड को फैलते हुए गोले के रूप में दिखाया गया है । वे गेलेक्सिियाॅं जो सबसे दूर हैं सबसे तेज भागती जा रही हैं अतः केन्द्र में खड़े अवलोकन कर्ता को छोटे आकार की दिखाई देती है।

2.5  काॅसमस अर्थात् ब्रह्मांड का आकार और आयु

पूर्वोक्त सभी प्रकार की ज्ञात और अज्ञात गेलेक्सियां जिसके अंदर आश्रित हैं उसे काॅसमस या ब्रह्मांड कहते हैं। वर्तमान वैज्ञानिक सिद्वान्तों के अनुसार काॅसमस की उत्पत्ति 13.7 बिलियन साल पहले बिग बेंग में हुई। दृश्य  कासमस का व्यास लगभग 93 बिलियन लाईट ईयर माना जाता है। संपूर्ण काॅसमस का व्यास अज्ञात है फिर भी एलान गुथ की इन्फ्लेशन थ्योरी के अनुसार काॅसमस का वास्तविक आकार दृश्य  काॅसमस से परिमाण के क्रम में  कम से कम 15 गुना अधिक  होना चाहिये।  अर्थात् यदि इन्फ्लेमेशन थ्योरी सही है तो वर्तमान में दृश्य  काॅसमस का 93 विलियन लाइट ईयर व्यास संपूर्ण काॅसमस की तुलना में वैसा ही होगा जैसे सूर्य के व्यास की तुलना में हीलियम एटम का व्यास। इसतरह संपूर्ण काॅसमस का व्यास 1026  (10के ऊपर 26 की घात) ,लाइट ईयर प्राप्त होता है। इतने बड़े आकार की कल्पना कीजिए?

काॅसमस की प्रकृति
   स्पेस: काॅसमस का ऐंसा रेशा (fibre) जो मोड़ा और ऐंठा जा सकता है और समय के साथ चार विमीय रेशा   निर्मित कर लेता है। समय और स्पेस अपने आप में एडजस्ट होते रहते हैं जिससे प्रकाश  की चाल एकसमान बनी रहती है चाहे वह कुछ भी क्यों न हो। ध्यान रहे स्पेस वह लचीला रेशा  है जिसमें गेलेक्सियां, तारे और अन्य भारी ग्रह भरे हुये हैं। इनका भार स्पेस टाइम रेशे  को मोड़ देता है जिससे कम द्रव्यमान के तारे या ग्रह भारी द्रव्यमान के तारे के चारों ओर घूमने लगते हैं जैसे पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाता है। इस घटना को गुरुत्व बल कहा जाता है जो  स्पेस के चार प्रमुख बलों में से एक है।

टाइम: चूंकि स्पेस और टाइम एकीकृत होते हैं इसलिये स्पेस के भीतर गति, समय को प्रभावित करती है। टाइम गतिशील व्यक्ति के लिये धीमा हो जाता है जबकि स्थिर व्यक्ति के लिये तेजी से गति करता है, इसका अर्थ यह हुआ कि टाइम की गतिशीलता जो हम अनुभव करते हैं वह एक भ्रम है। इस स्थिति में प्रारंभ से लेकर भविष्य में बहुत दूर तक, समय का प्रत्येक क्षण, साथ साथ रहता है परंतु वह काॅसमस के विभिन्न क्षेत्रों में होता है। इससे समय के गतिशील होने की संकल्पना इस प्रकार बनती है कि ‘टाइम और स्पेस के एकीकृत भौतिक अस्तित्व होने के कारण यह संभव है कि स्पेस टाइम रेशों  में कुछ लघु रास्ते हों जो हमें वर्तमान समय से भिन्न किसी अन्य समयान्तराल में ले जा सकें‘। समय की गतिशीलता होने के वावजूद इसके कोई प्रमाण नहीं हैं जिनके आधार पर हम भूतकाल अथवा भविष्य को परिवर्तित कर सकें। इसका कारण यह है कि समय के विभिन्न अन्तराल स्थायी अवस्था में रहते हुए सहअस्तित्व में होते हैं। फिर भी टाइम की सही सही प्रकृति अभी भी पूरी तरह ज्ञात नहीं है।

काॅसमस के विभिन्न बल:
 गुरुत्वीय बल- आइ्रस्टीन की जनरल थ्योरी आफ रिलेटिविटि के अनुसार स्पेस टाइम में वकृता उत्पन्न करने वाला बल गुरुत्वीय बल कहलाता है।
विद्युतचुंबकीय  बल- आवेशित कणों पर लगने वाला एक प्राकृतिक बल विद्युत चुंबकीय बल कहलाता है।
प्रबल नाभिकीय बल- प्रकृति का वह बल जो न्युट्रानों बौर प्रोट्रानों के भीतर क्वार्क्स को बांधे रहता है और उन्हें प्रभावित करता है।
दुर्बल नाभिकीय बल- प्रकृति का वह बल जो परमाणुओं के खंडीय स्तरों पर सक्रिय रहता है और रेडियो एक्टिविटी जैसी घटनाओं के लिये उत्तरदायी होता है।

चूँकि  गुरुत्वीय बल खगोलीय स्तर पर और अन्य तीनों बल परमाण्वीय स्तर पर सक्रिय होते हैं अतः समस्या यह बनती है कि सामान्य सापेक्षता सिद्वान्त परमाण्वीय स्तर पर लागू नहीं हो पाते क्यों कि क्वान्टम स्तर पर परमाणुओं का व्यवहार व्यवस्थित नहीं रह पाता। गुरुत्वीय बलों के साथ कॉसमॉस  का व्यवहार विश्वसनीय  और व्यवस्थित होता है जबकि क्वान्टम स्तर पर कणों की ऊर्जा और स्थिति का पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं होता। परमाण्विक स्तर पर होने वाली अव्यवस्था पर नियंत्रण कर पाना भौतिक वेत्ताओं की सबसे बड़ी कठिनाई है। क्वान्टम स्तर पर ग्रेविटान नामक कण को गुरुत्वीय बल का जनक माना जाता है परंतु अभी तक प्रायोगिक रूप से यह सिद्ध नहीं हो पाया है। ऊपरी स्तर पर स्पेस लचीला और व्यवस्थित है परंतु परमाण्विक स्तर पर वह सक्रिय, बहुविमीय और पूर्वानुमान रहित होता है।

सभी बलों के एकीकरण का प्रयास: स्पेस को खगोलीयस्तर से लेकर परमाण्विक/क्वान्टम स्तर तक समझने के लिये सभी बलों का एकीकृत होना आवश्यक  है, इसलिये वर्तमान में स्ट्रिंग थ्योरी को लाया गया है जो स्पेस की मूल प्रकृति को समझाने में सहायक मानी जाती है। इस सिद्धान्त के अनुसार मूल घटकों को  धागे की एकविमीय खुली या बंद लूप में कम्पित हो रही ऊर्जा के रूप में माना गया है जो क्वान्टम मेकेनिक्स और सामान्य रिलेटिविटी को एकीकृत करता है। चूंकि कण तरंग की भांति व्यवहार करता है अतः उन्हें मूल स्तर पर बटे हुए धागे के  आकार में निर्मित माना जा सकता है। ऊर्जा के ऐंठन के आकार को देखकर  यह अंदाज लगाया जाता है कि कौन प्रोटान है और कौन न्यूट्रान, अर्थात् कणों की पहचान इसी आधार पर की जाती है परंतु अभी तक यह सिद्धान्त ही है, कोई प्रायोगिक रूप से इसे  प्रमाणित /अप्रमाणित नहीं कर पाया है।

अतः, काॅसमस को इस प्रकार पारिभाषित किया जाता है ‘‘ बाहरी स्पेस से परमाण्विक स्तर तक जो कुछ भी अस्तित्व में है उसका व्यवस्थित उपक्रम ‘कासमस‘ है,‘‘ अर्थात् Ordered system of all that exist from outer space down to the atomic scale.

हबल का नियम
गेलेक्सियों के बीच पारस्परिक स्पेस में दिखाई देने वाले सभी पिंडों में, पृथ्वी के सापेक्षिक वेग के साथ और पारस्परिक ‘‘ डापलर शिफ्ट ‘‘ पाई जाती है। और, पृथ्वी से दूर जाने वाली विभिन्न गैलेक्सियों का डापलर शिफ्ट  के आधार पर नापा गया यह वेग पृथ्वी  और अन्य सभी पिन्डों से उनकी दूरी के समानुपाती होता है। इसका अर्थ यह है कि अवलोकित ब्रह्मांड का स्पेस-टाइम आयतन फैलता जा रहा है जिसका सीधा प्रमाण हबल का नियम है। स्पेस टाइम आयतन के फैलने की दर को हबल कास्टेंट का नाम दिया गया है।

3 अक्टूबर 2012 को नासा के द्वारा हबल नियताॅंक का मान गणना कर  74.3 ± 2.1 (km/s)/Mpc
 बताया गया है।

आद्यान्तिका में  93 बिलियन प्रकाश वर्ष के आकार का त्रिविमीय अवलोकनीय ब्रह्माॅंड की कल्पना की गई है। इसका स्केल इसप्रकार लिया गया है कि दिखाई देने वाले छोटे छोटे से कण वास्तव में बड़े बड़े सुपरक्लस्टरों के समूह को प्रदर्शित  करते हैं। वर्गो सुपरक्लस्टर जो कि अपनी आकाशगंगा का घर कहलाता है उसे केन्द्र में दिखाया गया है पर वह बहुत छोटा होने के कारण दिखाई नहीं दे रहा है।

ब्रह्माॅंड की अंततः आयु और भविष्य

ब्रह्माॅंड की अंततः आयु और भविष्य की गणना हबल कांस्टेंट को आज की स्थिति में ज्ञात कर, उसे अवलोकित अवमंदन (या अवत्वरण) की परिमिति के मान के साथ एक्स्ट्रापोलेट करने पर की जा सकती है। अद्वितीय रूपसे प्राप्त किये गये घनत्वीय परिमिति के पदार्थीय मान  Ωऔर डार्क ऊर्जा के मान ΩΛ , यदि बंद ब्रह्मांड के लिये क्रमशः    ΩM > 1  vkSj  ΩΛ = 0    लिये जावें तो  उसका अन्त बहुत बड़ी कमी के साथ होगा जो हबल की आयु से कम होगा, परंतु यदि खुले ब्रह्मांड के लिये यही मान क्रमशः ΩM ≤ 1   vkSj  ΩΛ = 0    लिये जावें तो यह लगातार फैलता जावेगा और उसकी आयु हबल आयु के बराबर होगी। हबल पैरामीटर के मान का घटना बढ़ना तथाकथित अवत्वरण पैरामीटर(q) के मान पर निर्भर करता है। इसे इस प्रकार परिभाषित किया जाता है,

                    q        =   - ( 1+ H/H2 
      किसी ब्रह्मांड के लिये यदि अवत्वरण का मान शून्य  हो तो, ] H = 1/t, जहाँ  t बिग बंग की घटना 
       होनेका समय है।(q) का समय पर निर्भरशील  अशून्य  मान, प्राप्त करने के लिये फ्राइडमन समीकरणों
      को वर्तमान समय से पीछे चलते हुए सहगामी क्षितिज के शून्य  आकार होने तक के बीच के समय में
      इन्टीग्रेट  करना होगा। लंबे समय तक  (q) के मान को धनात्मक माना जाता रहा जिससे यह
      धारणा बनी थी कि गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्रह्माॅड का फैलाव घटता जायेगा और ब्रह्माॅड की आयु
     1/H से कम होगी जो गणना करने पर 14  मिलियन वर्ष होती है।  परन्तु  1998 में हुई खोज से ज्ञात
      हुआ है कि अवत्वरण पेरामीटर का मान ऋणात्मक होता है जिसका अर्थ है कि ब्रह्माॅंड की आयु
      1/H   से अधिक होनाचाहिए पर यह लगभग इसके बराबर ही प्राप्त होती है।

ब्रह्मांड, गेलेक्सियों को समेटे ऐंसा गोला है जो लगातार फैलता जा रहा है। सबसे दूरस्थ गेलेक्सी सबसे तेज चलती है अतः उसकी लंबाई की दिशा में संकुचन हो जाने के कारण केन्द्र में खडे़ अवलोकनकर्ता के लिये वह छोटी दिखाई देती है।

2.6  बहुब्रह्माॅड और ब्लेक होल

  बहुब्रह्माॅंड:
अपने यूनीवर्स की तरह स्पेस में अन्य यूनीवर्स हो सकते हैं और उन्हें नीचे दिये गये माडल के अनुसार प्रकट किया जा सकता है और मल्टीवर्स सिद्धान्त के समर्थन और विपरीत दोनों प्रकार के वैज्ञानिक वहस कर रहे हैं। यह माना जा रहा है कि बुलबुले के आकार के सात यूनीवर्स हो सकते हैं जिनके स्पेसटाइम अलग होंगे और उनके भौतिक नियम और स्थिरांक तथा विमायें या टोपोलाजी भी भिन्न होंगी। परंतु प्रायोगिक प्रमाणों के अभाव में ये विचार अभी एक मत से स्वीकार नहीं किये जा पा रहे हैं पर भविष्य में इस रहस्य से अवश्य  पर्दा उठ सकता है।

ब्लेक होलः
ब्लेक होल  स्पेस टाइम का वह क्षेत्र है  जिसका गुरुत्व, प्रकाश  सहित सब कुछ को अपने में से बाहर निकलने से रोक लेता है। द्रव्यमान के अनुसार ये अपने सूर्य की तुलना में 10 से 15 गुने द्रव्यमान के तारों की मृत्यु होने के समय उस समय उत्पन्न होते हैं जब मरने वाले तारे एक बिंदु  पर शून्य  आयतन और अनन्त घनत्व के साथ टकराते हैं और सिंगुलारटी को निर्मित करते हैं ।  सापेक्षिकता का सामान्य सिद्धान्त कहता है कि द्रव्यमान के पर्याप्त सघन हो जाने पर स्पेसटाइम में विरूपण आ जाता है जिससे ब्लेक होल बनते हैं। सिंगुलारटी के चारों ओर गुरुत्वीय बल इतना अधिक होता है कि प्रकाश  भी नहीं भाग पाता, यह ब्लेक होल के चारों ओर गणितीय रूपसे पारिभाषित तल होता है जो ‘‘ईवेंट होरीजन‘‘ कहलाता है और वहाॅं पहुंचने पर कोई भी वापस नहीं लौट सकता। इसे ब्लेक होल इसलिये कहते हैं क्योंकि उससे टकराने वाला प्रकाश  पूर्णतः कृष्ण पिंड की तरह अवशोषित हो जाता है। ईवेंट होरीजन से नियत ताप का विकिरण निकलता है जो ब्लेक होल के द्रव्यमान का व्युत्क्रमानुपाती होता है अतः बहुत अधिक द्रव्यमान के ब्लेक होलों का विकिरण नापना बहुत ही कठिन होता है। अधिकाॅंश  गेलेक्सियों के केन्द्र में अत्यधिक द्रव्यमान के ब्लेक होल पाये जाते हैं जो भारी तारों के समाप्त होने पर परस्पर टकराने से बनते हैं। एक बार ब्लेक होल बन जाने के बाद वह अपने आसपास के द्रव्यमान को अवशोषित करते हुए अत्यधिक द्रव्यमान का हो जाता है।  ब्लेक होल के निर्मित होकर स्थायी आकार ले लेने पर उसमें द्रव्यमान ,आवेश  और कोणीय संवेग ये तीन स्वतंत्र गुण पाये जाते है।


ईवेंट होरीजनःः ब्लेक होल के होने का प्रमाण ईवेंट होरीजन से ही मिल पाता है , यह स्पेस्टाइम के भीतर वह सीमा होती है जिसके भीतर पदार्थ और प्रकाश , ब्लेक होल के भीतर केवल प्रवेश  कर सकते हैं, पर बाहर नहीं निकल सकते। ईवेंट नाम इस लिये दिया गया है क्योंकि उस क्षेत्र में होने वाली किसी भी घटना अर्थात् ईवेंट की जानकारी अवलोकनकर्ता को प्राप्त नहीं हो सकती। स्थिर ब्लेक होलों में इसका आकार हमेशा  लगभग गोलीय होता है, पर घूमने बाले ब्लेक होलों में ईवेंट होरीजन का आकार कुछ कुछ चपटा होता है।

प्रचंडरूप से भारी ब्लेकहोल ही वे अवशेष होंगे जब गेलेक्सियों के सभी प्रोटान क्षय हो चुकेंगे, फिरभी ये ब्लेक होल भी अमर नहीं हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि 1040 (10 के ऊपर 40  की घात) , वर्ष बाद पूरे ब्रह्मांड में केवल ब्लेक होल ही होंगे। वे हाकिंग रेडिएश न के अनुसार धीरे धीरे वाष्पीकृत हो जावेंगे। अपने सूर्य के बराबर द्रव्यमान वाला एक ब्लेक होल नष्ट होने में 2x1066   ( 2x 10के ऊपर 66 की घात), साल लेता है, परंतु इनमें से अधिकांश  अपनी गेलेक्सी के केेन्द्र में स्थित अपनी तुलना में अत्यधिक द्रव्यमान के ब्लेक होल में सम्मिलित हो जाते हैं। चूंकि ब्लेक होल का जीवनकाल अपने द्रव्यमान पर तीन की घात के समानुपाती होता है इसलिये अधिक द्रव्यमान का ब्लेक होल नष्ट होने में बहुत समय लेता है। 100 बिलियन सोलर द्रव्यमान का ब्लेक होल नष्ट होने में 2x1099  (2x 10 के ऊपर 99 की घात), साल लेगा ।
इस प्रकार ब्रह्मांड में पाये जाने वाले आकाशीय पिंडों अर्थात् ग्रहों, सूर्यों, गेलेक्सियों, ब्लेक होलों या ऊर्जा अर्थात् प्रकाश , विद्युत, रेडियो, और ब्लेकएनर्जी और पृथ्वी जैसे ग्रहों के जीवधारी आदि सभी स्पेस और समय के अत्यंत विस्तारित क्षेत्रों में अपना साम्राज्य जमाये हुए हैं परंतु फिर भी वे अनन्त नहीं हैं अमर नहीं हैं।


2.7   आधुनिकतम महाप्रयोग

वर्तमान वैज्ञानिकों का प्रयोग;LHC

अब प्रश्न  यह है कि इन सबके नष्ट हो जाने पर वह क्या है जो बचेगा? वह क्या है जिसमें अथवा जिसके द्वारा इन्हें अस्तित्व मिला? और वह है कैसा? इन प्रश्नों  के उत्तर वैज्ञानिकों के पास नहीं हैं, न ही वे सही सही यह बताने में सक्षम हैं कि स्पेस और समय की असली परिभाषा  क्या है। वैज्ञानिकों ने इन रहस्यों को समझने के लिये हाल ही में ‘‘लार्ज हैड्रान कोलायडर‘‘ (LHC) नामक प्रयोग किया है जिसमें वे उन परिस्थितियों को निर्मित कर रहे हैं जो बिग बेंग के समय रही होंगीं। इस प्रयोग के परिणामों का विश्लेषण  करने पर यह पता लगाया जा सकेगा कि पदार्थ का द्रव्यमान निर्धारित करने के लिये कौन से घटक उत्तरदायी हैं और गुरुत्व कैसे उत्पन्न होता है।


इस प्रकार हम वैज्ञानिक आधार पर विश्व ब्रह्माण्ड  की उत्पत्ति और उसके रहस्यों की खोज में लगे हुए हैं परंतु अभी तक कोई सारगर्भित  तथ्य प्राप्त नहीं हुए हैं जो पूर्वोक्त प्रश्नों  के उत्तर दे सकें। इससे यह भी स्पष्ट है कि इतने अपरिमित क्षेत्र और परिमाण के ब्रह्मांड को समझने के लिये भी अपरिमित आकार  के मस्तिष्क की आवश्यकता  होगी। पूरे ब्रह्माॅंड में पदार्थ का परिमाण 3 ls 100x1022 (3 से 100x10 के ऊपर 22 की घात) , तारों की संख्या बराबर है जो 80 बिलियन गेलेक्सियों में वितरित है। ब्रह्माॅंड की स्थानिक वक्रता शून्य के निकट है। हमारे मस्तिष्क में पाये जाने वाले न्यूरानों की संख्या ब्रह्मांड के सभी तारों की संख्या से अधिक है। जीवन की उत्पत्ति के संबंध में वैज्ञानिक मानते हैं कि जल के भीतर जीव उत्पन्न हुए पहले एक कोषीय और क्रमागत रूपसे बहुकोषीय जीव के रूप में , डारविन के सिद्धान्त के अनुसार अति उन्नत जीव मनुष्य हुए हैं। पृथ्वी के अलावा अन्य गेलेक्सियों के किन्हीं सौर मंडल के ग्रहों में जीवन की संभावनायें भी बताई गयीं हैं। ये जीव मनुष्य की तरह या मनुष्य से अधिक उन्नत  या अन्य प्रकार के भी हो सकते हैं, यह भी कहा गया है। तारे और गेलेक्सियाॅं मरते हुए ब्लेक होल में लय हो जाते हैं और अंततः ब्लेक होल भी समाप्त हो जाता है , इसी प्रकार जीव भी मनुष्य होकर अंततः मर जाता है, इसके आगे क्या होता है विज्ञान को इसकी कोई जानकारी नहीं है।

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