Monday, 30 December 2019

289 पाखंड

पाखंड
‘पाखंड’ हमारे सामने अनेक प्रकार से आता रहता है परन्तु इन तीन प्रकारों से बहुधा अपना इन्द्रजाल फैलाता है,
1. दूसरों को धोखा देकर या उनका शोषण कर अपना कार्य सिद्ध करना।
2. अपनी अज्ञानता छिपाने के लिए किसी पर अनावश्यक रूप से हावी होना।
3. दूसरों के पापकर्मों की आलोचना कर स्वयं नैतिक होने का ढोंग करना और स्वयं उन्हीं कार्यों को चोरीछिपे करना।

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