हाई ब्लडप्रेशर या उच्च रक्तचाप की बीमारी साधारणतः अपरिमित इच्छाओं, आकांक्षाओं, स्पर्धा की दौड़ में आगे बढ़ने के कारण आए तनाव के कारण होता है। कभी कभी यह आनुवांशिकता या दवाईयों के दुष्प्रभाव के कारण भी होता है।
मनुष्य आराम पाने की होड़ में प्रकृति से दूर होता जा रहा है। इसलिए सबसे पहले जरूरी है शरीर और मन के बीच सही तालमेल को बनाए रखना। प्राकृतिक चीजें मन से तनाव को कम करने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके साथ ही योग अभ्यास मन को शांत करके रक्तचाप को कम करने में भी सहायता करता है।
इसके उपचार के बारे में जानने के पहले यह जानते हैं कि हाई ब्लड.प्रेशर और हाइपरटेनशन के बीच अंतर क्या है। जब हृदय के स्पंदन से रक्त संचार पर अतिरिक्त दबाव उत्पन्न होता है तब उस अवस्था को हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप कहते हैं।
मगर जब उच्चरक्तचाप की स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तब उस अवस्था को हाइपरटेनशन कहते हैं। हृदय पर रक्त को पंप करने में जो दबाव पड़ता है उसको सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं और हृदय के दो धड़कनों के बीच के आराम के अवस्था को डायस्टोलिक प्रेशर कहते हैं। इन दोनों के बीच सामान्य स्तर 120ः80 (mm of mercury) होना चाहिए।
उच्च रक्तचाप साधारणतः रक्त के गाढ़ा हो जाने के कारण होता है क्योंकि इससे धमनियों और नसों में रक्त का संचार अच्छी तरह से नहीं हो पाता है जिसके कारण हृदय को, रक्त को पंप करने में अधिक दबाव उत्पन्न करना होता है। उच्च रक्तचाप कोई सामान्य बीमारी नहीं हैं, इसको साइलेन्ट किलर भी कहते हैं।
उच्च रक्तचाप के मूल कारणों में. अत्यधिक मात्रा में नमक का सेवन, धूम्रपान और शराब का सेवन, महिलाओं में हॉर्मोन के बदलाव के कारण, किसी विशेष दवा के कारण, रात को देर तक जागने के कारण, अत्यधिक मानसिक तनाव, या मोटापे के कारण भी होता है। उच्च रक्तचाप के कारणों के साथ लक्षणों के बारे में भी पता होना चाहिए ताकि आप आसानी से यह समझ सकें कि आप इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. मोटापा, सर दर्द, दिल का धड़कन तेज होना, बार.बार क्रोध आना, कान या चेहरे से आग जैसे गर्म निकल रहा है ऐसा महसूस होना, थकान महसूस होना, नींद न आना, रक्त चाप बहुत बढ़ जाने पर नाक से खून आना आदि।
निम्नांकित तरीके से भी रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।
1 सबसे पहले खुद को तनावमुक्त और शांत रखने के लिए नियमित रूप से सुबह टहलने के लिए जाएं। हो सके तो नंगे पांव हरी घास पर कम से कम बीस मिनटों तक चलें।
2 रोज सुबह बिना नमक और चीनी के नींबू पानी पीने से उच्च रक्त चाप को नियंत्रण में लाया जा सकता है।
3 एक महीना तक कम से कम आधा किलो पका पपीता खाने से भी रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।
4 जरूरत के अनुसार खसखस और तरबूज के मगज को एक साथ पीस लें और रोज सुबह एक चम्मच खाली पेट तीन.चार हफ्तों तक इसका सेवन करें।
5 सब्जी खाना तो बहुत अच्छा होता है लेकिन उबला हुआ आलू खाना बहुत अच्छा होता है क्योंकि उसमे सोडियम नहीं होता है।
6 पालक और गाजर को पीसकर सुबह शाम एक गिलास पीने से रक्तचाप कम होता है।
7 मदिरा, अंडा, मांस, मिठाई, चॉकलेट का सेवन वर्जित होता है।
8 तुलसी के दस पत्तों के साथ नीम के तीन पत्तों का सेवन सात दिन तक करने से लाभप्रद फल मिलता है।
9 त्रिफला, हाइपरटेनशन पर प्रभावकारी रूप से काम करता है।
10 अश्वगंधा न सिर्फ उच्चरक्तचाप को कम करने में मदद करता है बल्कि सूजन और तनाव को भी कम करने में मदद करता है।
11 अर्जुन की छाल का काढ़ा, तनाव के दौरान जो हॉर्मोन निकलता है उसको नियंत्रित करने में मदद करता है। इस वजह से यह रक्तचाप को कम करने में भी मदद करता है।
इन सबके अलावा आपको अपने आहार में फल और सब्जी की मात्रा, नमक की मात्रा, व्यायाम, स्वास्थ्य वर्धक जीवनशैली, इन सब बातों पर ध्यान रखना पड़ेगा।
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