Friday 17 April 2015

मनोविज्ञान प्रश्नोत्तर प्र- 11 से आगे----


मनोविज्ञान प्रश्नोत्तर प्र- 11 से आगे----
12. क्लेयरवोयेंस क्या है?
- ये दो प्रकार के होते हैं पहला आन्तरिक और दूसरा दूरस्थ। आन्तरिक क्लेयरवोयेंस तब होता है जब व्यक्ति निकट होता है और आप उसके मन में क्या हो रहा है यह जान सकते हो। और दूरस्थ में व्यक्ति दूर होता है पर फिर भी आप उनके संबंध में क्या घटित हो रहा है यह जान सकते हो। संस्कृत में इन्हें क्रमशः  अन्तर्द्रष्टि और दूरद्रष्टि कहते हैं।
13. टेलीपैथी क्या है?
- इसका अर्थ है किसी के विचारों को पढ़ लेना। वाक्सिद्धि, उच्चस्तर की टेलीपैथी है। वाक्सिद्ध जो कुछ कहता है सत्य घटित होता है। दूसरे प्रकार की टेलीपैथी में इंद्रियों का संतुलन विकृत कर दिया जाता है जैसे, जिसके पास यह शक्ति विकसित हो जाती है वह किसी को एक प्रकार की सुगंध का अनुभव करा सकता है और फिर अचानक परिवर्तन कर दूसरे प्रकार की सुगंध अनुभव करा देता है।
14. मनपरिवर्तन या रूपान्तरण क्या है?
- मानलो आप किसी नाड़ी में कष्ट का अनुभव कर रहे हैं और उस नाड़ी से ही यदि कष्ट को हटा दिया जाता है तो इसे रूपान्तरण कहेंगे। इसे दूर से इंद्रियों में पररिवर्तन कर या माइक्रोवाइटा का उपयोग कर किया जा सकता है। मानलो किसी को पीठ में दर्द है और वह ऊपर की ओर बढ़ता जाता है और धीरे धीरे जीभ से उच्चारण भी करते नहीं बनता तो यह नेगेटिव माइक्रोवाइटा के प्रभाव से हो सकता है यदि यह कुछ देर तक जारी रहता है तो बोलने की क्षमता स्थायी रूप से समाप्त हो जाती है। नेगेटिव माइक्रोवाइटा का उपयोग और दूरी से इंद्रियों का परिवर्तन अविद्या के अंतर्गत आते हैं। इससे केवल एक प्रतिशत लाभ हो सकता है अतः उन शक्तियों को विकसित करना चाहिये जो सीधे परमपुरुष से जोड़ें।
15. हिपनोसिस क्या है?
- संस्कृत में इसे योगनिद्रा कहते हें। यदि इकाई मन परमपुरुष की ओर उनका चिंतन करते हुए भेजा जाता है तो वह परम पुरुष की समीपता से आनन्दित होता है जिस स्तर पर वह कासमिक माइंड में मिल जाता है और बाहरी किसी चीज से संबंध नहीं रखता तो इसे योग निद्रा कहते हैं। ध्यान रखने योग्य यह है कि हिपनोटिज्म अलग बात है, इसमें जादूगर दूसरों के मन को प्रभावित कर जैसा वह सोचता है वैसा ही सोचने को विवश  कर देता है।
16. अभिशाप और वरदान क्या हैं?
- मानलो किसी को ठंड लग गई और उससे उसके फेफड़े भी प्रभावित हो गये तो यह अभिशाप कहलायेगा। क्या कोई इसे चाहेगा? साधारण व्यक्ति डर से कहेगा नहीं पर विवेकी व्यक्ति कहेगा यदि परमपुरुष मेरे बोलने की शक्ति ले लेगा तो मैं उनका काम कैसे करूंगा? परमपुरुष किसी भक्त से प्रसन्न हों तो वे उसे सभी अच्छे गुणों का वरदान देते हैं। इस लिये परमेश्वर  ने जो कुछ शक्तियाॅं तुम्हें दी हैं उनका उपयोग उन्हीं का कार्य करने में करो नही तो वे उन्हें वापस ले लेंगे।
17. क्या साधुओं को नशीली वस्तुओं का सेवन करना चाहिये?
- नहीं । क्योंकि उससे लिंफ का परिवर्तन सीमेन में होने लगता हे और मस्तिष्क को उसका भोजन अर्थात् लिंफ मिलना घटने लगता है, इससे अन्य सभी ग्रंथियाॅं भी प्रभावित हो जाती हैं और पूरा नर्वस सिस्टम ही प्रभावित हो जाता है । इससे साधना करना कठिन हो जाता है मन स्थिर नहीं रहता।

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