Saturday, 18 April 2015

मनोविज्ञान प्रश्नोत्तर प्र- 17 से आगे ------

मनोविज्ञान प्रश्नोत्तर प्र- 17 से आगे ------
18. धुवा स्मृति क्या है?
- पूर्व में अनुभवित किसी बात या घटना का पुनःस्मरण करना स्मृति कहलाता है, जब यह स्थायी हो जाता है तो इसे धुवा स्मृति कहते हैं। अर्थात् अभ्रान्त स्मृति ।
19. आसन की प्रवृत्ति क्या है?
- उचित साॅंस लेते हुए शांतिपूर्वक सरलता से जिस स्थिति में सुखपूर्वक बैठा जा सकता है उसे आसन कहते हैं। लगातार अभ्यास से आसनों के द्वारा बीमारियों को दूर किया जा सकता है और हारमोन्स के असंतुलन को नियंत्रित किया जा सकता है , ये साधक को मन पर नियंत्रण करने और शरीर को आराम देने में मदद करती हैं।
20. हम आसन क्यों करते हैं?
- इनसे ग्रंथियों का दोष दूर होता है और वृत्तियों पर नियंत्रण होता है। आसन ग्रंथियों को, ग्रंथियाॅं हारमोन्स को और हारमोन्स वृत्तियों को नियंत्रित करते हैं। ये शरीर में लचीलापन लातीं हैं। शरीर और मन में संतुलन रखती हैं। मन को जड़ चिंतन से दूर करती हैं। उच्च और सूक्ष्म साधना करने के लिये मन को तैयार करतीं हैं।
21. आसनों को नाम किस प्रकार दिया जाता है।?
     - कुछ आसनों के नाम जानवरों के नाम से और कुछ के उन जानवरों की संरचना के अनुसार तो कुछ को उन आसनों के गुणों के अनुसार नाम दिया गया है।
22. आसनों के प्रकार क्या हैं?
     - 1 सर्वांगासन -शरीरिक स्वास्थ्य के लिये। 2 ध्यानासन- मन को नियंत्रित करने और ध्यान के लिये जैसे पद्मासन, बद्धपद्मासन, सिद्धासन और वीरासन। 3 मुद्रा- यह कठिन आसन होते हैं जो उचित साॅंस लेने और नियंत्रण के लिये किये जाते हैं। 4 बन्ध- ये केवल शरीर के दस वायुओं को प्रभावित करते हैं। 5 वेध- ये सभी नाडि़यों और वायुओं को प्रभावित करते हैं।
23. आसन और मुद्रा में क्या अंतर है?
    - आसन वे सरल भौतिक स्थितियाॅं हें जो ग्रंथियों और ऊर्जा केन्द्रों को हारमोन्स का स्राव करने हेतु अनुकूल परिस्थितियाॅं पैदा करती हैं। मुद्रा कठिन शारीरिक स्थितियाॅं हैं जो माॅसपेशियों और नाडि़यों को अभ्यास कराती हैं।

No comments:

Post a Comment