Thursday 16 April 2015

मनोविज्ञान से सम्बंधित प्र- 7 से आगे----

मनोविज्ञान से सम्बंधित प्र- 7 से आगे----

8. इन्सटिंक्ट  और मार्गदर्शक  मनोसंकाय का अर्थ क्या है ? इनमें मौलिक अंतर क्या है और क्या मार्गदर्शक मनोसंकाय इंस्टिंक्ट से स्वतंत्र होता है?
       -  पर्यावरण के साथ अस्तित्व की क्षमता को व्यवस्थित करते हुए संरचना को बनाये रखना, संख्या में बृद्धि करना और फिर संरचना को नष्ट करना इंस्टिंक्ट कहलाता है। ये इंस्टिंक्ट दो प्रकार की होती हैं सहजात और ग्रहीत। सहजात वे हैं जो जन्म से ही होती है जैसे रोना, माॅं का दूध चूसना, टट्टी पेशाब करना। ग्रहीत वे हैं जो जन्म के बाद में प्राप्त की जाती हैं जैसे गुदगुदाने पर हंसना। पर आनंदित रहने का गुण सहजात होता है।किसी चुटकुले को सुनकर जो हंसी आती है वह गुदगुदाने से आने वाली हंसी से भिन्न होती है , पहले प्रकार की हंसी मानसिक है जबकि दूसरे प्रकार की भौतिक। मानलो अनेक रसगुल्ला और मिठाइयाॅं सामने रखीं हो तो मार्गदर्शक  संकाय को निर्णय लेना पड़ेगा। मन पूछता है कि  कौन सी मिठाई खाई जाये, मार्गदर्शक  संकाय निर्णय लेता है। पर यदि मार्गदर्शक  संकाय कहता है कि तुम्हें कुछ भी नहीं लेना चाहिये फिर भी तुम्हारी इंस्टिंक्ट  यह कह सकती है कि कुछ ले लेने में कोई बुराई नहीं है। जब इंस्टिंक्ट  कुछ खाने को कहती है और मार्गदर्शी  मनोसंकाय भी समर्थन करता है तो यह उदाहरण मार्गदर्शी  मनोसंकाय से संबद्ध इंस्टिंक्ट  का कहलायेगा। मार्गदर्शी  मनोसंकाय की सहायता से स्मरण शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। इंस्टिंक्ट में नाडि़यों का संकुचन और फैलाव विना किसी मानसिक सहयोग के होता है। इंस्टिंक्ट  में अस्तित्व बनाये रखने के लिये और अस्तित्व नष्ट करने के लिये संधर्ष होता है।
9. फोबिया, मीनिया, मेलेंकोलिया, स्ट्रेनोफे्रनिया और वोकल मेनिया में क्या समानता है?
       - वे सभी मानसिक बीमारियाॅं हैं। फोबिया अर्थात् आतंक , किसी चीज से अत्यधिक डरना, कोई तैरना नहीं जानता तो वह नदी में नहाने से बहुत डरेगा। मीनिया अर्थात् वायुरोग,  इस रोग से प्रभावित व्यक्ति एक ही चीज को बार बार दुहरायेगा भले ही वह अतार्किक हो जैसे स्वस्थ रहते हुए भी वह कहेगा तवियत ठीक नहीं है, यह मन की किसी कमजोरी के कारण होता है। मेलंकोलिया अर्थात् विषादवायु, इसमें व्यक्ति हमेशा  कुंठा और उदासी अनुभव करता है जीवन के सभी आकर्षण चले जाते हैं और वह व्यर्थ ही सोचने लगता है कि उसे कोई नहीं चाहता। स्ट्रेनोफेनिया अर्थात् मुद्रादोष इसमें व्यक्ति अनजाने में ही अपना जेस्चर या मुद्रा बार बार दुहराता रहता है। वोकल मेनिया में व्यक्ति बोलने की कोशिश  करता है पर बोल नहीं पाता।
10. मनोविज्ञान की मुख्य शाखायें कौन सी हैं?
       - मनोविज्ञान की मुख्य शाखाएं  हैं, सामान्य मनोविज्ञान, जीवमनोविज्ञान, परामनोविज्ञान, और शीर्ष मनोविज्ञान।
11. परामनोविज्ञान की पहुंच कितनी है?
       - परामनोविज्ञान वह विज्ञान है जो हमारे वर्तमान जीवन को पिछले जीवनों से जोड़ती हैं, यह विभिन्न जीवनों के बीच के अंतर को जोड़ने का कार्य करती है। कई बच्चों को अपने पिछले जीवन की याद रहती है पर बारह या तेरह वर्ष की आयु के बाद वे भूलने लगते हैं क्योंकि यदि वे याद रखते हैं तो उन्हें दुहरा जीवन जीना पड़ता है जो उनकी असमय मृत्यु का कारण बनता है। परामनोविज्ञान का क्षेत्र बहुत ही पिछडा है इसे उन्नत किया जाना चाहिये पर चंूकि यह क्षेत्र आध्यात्मिक होता है अतः आध्यात्मरहित व्यक्ति उसे कैसे विकसित कर सकते हैं। परमपुरुष हजारों वर्ष  पिछले जीवनों को भी देख सकते हैं क्योंकि उनके पास सुप्राओकल्ट पावर होता है। उन्हें किसी नर्वसैल या नर्व फाइवर की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि सब कुछ उनके मन में ही होता है अतः उनकी इच्छामात्र से सब कुछ सामने आ जाता हैं। वे सभी इकाई मनों को देख सकते हैं।

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