Sunday, 19 April 2015

मनोविज्ञान प्रश्नोत्तर प्र-23 से आगे----

मनोविज्ञान प्रश्नोत्तर प्र-23  से आगे----

24. बंध और वेध में क्या अंतर है?
     - बंध केवल वायु को और वेध वायु और नर्व दोनों को प्रभवित करते हैं।
25. सर्वांगासन और विपरीतकर्णी मुद्रा में क्या अंतर है?
      - सर्वांगासन में हमें मन को पैरों के अंगूठे पर केन्द्रित करना होता है जबकि विपरीतकर्णी मुद्रा में नाक के शीर्ष पर या नाभि पर।
26. योग का महत्व क्या है?
      - इकाई मन का परम मन के साथ मिलन योग कहलाता है ‘‘संयोगो योगो इत्युक्तो आत्मनः परमात्मनः‘‘। मन की वृत्तियों पर नियंत्रण करना योग कहलाता है ‘‘योगः चित्त वृत्तिः निरोधः‘‘। सभी विचारों और चिंताओं को नियंत्रित कर निश्चिन्त  होना योग कहलाता है, ‘‘सर्वचिंता परित्यागों निश्चिन्तो  योग उच्यते।‘‘
27. त्राटक योग क्या है?
      - आन्तरिक रूपसे द्रष्टि को नियंत्रित कर अतिप्राकृतिक देखना त्राटक कहलाता है।
28. प्रत्याहार क्या है?
     - वाह्य संसार की वस्तुओं से मन को खींच कर परमपुरुष की ओर संचालित करना प्रत्याहार कहलाता है।
29. धारणा क्या है?
     -शशीर  के भीतर पाॅंचों मूल घटकों को यथास्थान उनके नियंत्रक विंदुओं पर थामना, धारणा कहलाता है।
30. प्राणायाम क्या है?
     - यह ब्रह्म का चिंतन करने के साथ साथ श्वाश  को नियंत्रण करने की प्रक्रिया है जो मन को एकत्रित करने          में सहायक होती है।
31. प्रणायाम के कार्य क्या है?
      - प्राणायाम दस प्राणवायुओं पर नियंत्रण करने में मदद करता है, वायुएं ग्रंथियों को नियंत्रित करती हैं,              ग्रथियाॅं हारमोन्स को और हारमोन्स मन की वृत्तियों को नियंत्रित करते हैं।
32. युधिष्ठिर विद्या क्या है?
     - प्राणायाम करते समय मन को किसी एक विंदु पर केन्द्रित करना युधिष्ठिर विद्या कहलाती है।
33. रेचक पूरक और कुंभक क्या हैंे?
    - प्राणायाम के समय पूर्णरूपसे वायु को भीतर खींच लेना पूरक, रोके रखना कुभक और पूर्णतः बाहर निकालना रेचक कहलाता हैं।
34.  रेचक का अर्थ क्या है?
    - रेचक का मतलब है सफाई।साॅंस लेने के समय जब कोई पूरी साॅंस बाहर निकाल देता है तो यह रेचक कहलाता है।
35. ध्यान क्या है?
     - परम सत्ता का चिंतन करना ध्यान है, इसका अर्थ है बिना रुके मन को लगातार परमपुरुष के चिंतन में            ऊपर की ओर चलाते रहना।
36. समाधि क्या है?
      - इकाई चेतना का परम चंतना के साथ मिलन हो जाना समाधि कहलाता है , यह कोई विशेष  पाठ नहीं है           बल्कि यह तो सभी पाठों का संयुक्त परिणाम है।
37. शोधन क्या है?
      - चक्रों पर ध्यान केन्द्रित करना शोधन कहलाता है यह अष्टाॅंग योग में नहीं है पर आनन्द पथ (Path of bliss) साधना में सिखाया जाता है।

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