अभी तक आप योग विज्ञान और व्यावहारिक जीवन से सम्बंधित प्रश्नो के उत्तर पाते रहे ,आशा है इस सम्बन्ध में आपकी सभी जिज्ञासाएँ शांत हो चुकी होंगी। अब खंड 7-6 में हम मनोविज्ञान और साधना से संबंधित प्रश्नोत्तरों पर चर्चा करेंगे और इन क्षेत्रों में उठने वाली स्वाभाविक जिज्ञासाओं का शमन करने का प्रयत्न करेंगे
7.6 मनोविज्ञान और साधना से संबंधित प्रश्नोत्तर
1. मानसिक प्रगति और आध्यात्मिक प्रगति में मूल अंतर क्या है?
- मानसिक प्रगति एक्टोप्लाज्म और एन्डोप्लाज्म के क्षेत्र में होती है जबकि आध्यात्मिक प्रगति संज्ञानात्मक सत्ता के क्षेत्र में, जहाॅं सभी अभ्यास और वृत्तियाॅं परम लक्ष्य की ओर प्रेषित कर दी जाती हैं। एन्डोप्लाज्म, एक्टोप्लाज्म की वाहरी सतह है, यह संयुक्त रूप से ‘‘ व्यक्तिगत अस्तित्व बोध‘‘ बढ़ाता है। इकाई एक्टोप्लाज्म की बृद्धि से उसका आयतन और क्षेत्र बढ़ता जाता है और सामूहिक एक्टोप्लाज्म भी क्रमशः अपना आकार बढ़ा लेता है इससे अंततः एन्डोप्लाज्म अपना आकार बढ़ाते हुए टूट जाता है और इस प्रकार ‘‘इकाई मैं ‘‘, ‘‘कास्मिक मैं‘‘ में मिल जाता है।
2. क्या इकाई प्रोटोप्लाज्मिक सैल के अस्तित्व वोध का संबंध सामूहिक प्रोटोप्लाज्मिक सैलों के साथ वैसा ही है जैसा इकाई चेतना और ब्राह्मिक चेतना का?
- नहीं, इनमें अंतर है। सामूहिक प्रोटोप्लाज्मिक सैलों का अस्तित्ववोध, इकाई प्रोटोप्लाज्म के सुख और दुख से प्रभावित होता है परंतु ब्राह्मिक चेतना सुख दुख से प्रभावित नहीं होती। सामूहिक अस्तित्ववोध किसी इकाई प्रोटोप्लाज्मिक सैल को अपने में से बाहर निकाल सकता है पर ब्राह्मिक चेतना , इकाई चेतना को अपने से बाहर नहीं कर सकती क्योंकि ब्राह्मिक चेतना का क्षेत्र इकाई चेतना से बहुत बड़ा होता है।
3. एक्टोप्लाज्म और एन्डोप्लाज्म की संरचना में क्या भेद है?
- एक्टोप्लात्म से मानसिक संकाय का बोध होता है पर एन्डोप्लाज्म से इकाई मैंपन का बोध। एन्डोप्लाज्म , एक्टोप्लाज्म का वाहरी आवरण होता है।
4. परम ज्ञानात्मक सत्ता से कौन अधिक निकट होता है एक्टोप्लाज्म या एन्डोप्लाज्म?
- एन्डोप्लाज्म सामूहिक प्रकृति और संरचना का होता है और न्यूनतम मैंपन का बोध रखता है जबकि एक्टोप्लाज्मिक सैलों की संरचना और प्रकृति, इकाई होती है, इसका इकाई अस्तित्वबोध और इकाई ज्ञानात्मक वोध होता है। परम ज्ञानात्मक सत्ता प्रोतयोग से सामूहिक और ओत योग से व्यक्तिगत इकाई संरचना से संबद्ध रहता है। मानव मन की संरचना जटिल होती है यह जटिल संरचना इकाई मैंपन का बोध कराती है जबकि उसमें अनेक एककोषीय ओर बहुकोषीय सैल रहते हैं जिनकी संवेदनाये, संकल्पनायें और आभास अनेक प्रकार के होते हैं।
5. मनुष्यों और पेड़ों के प्रोटोप्लाज्मिक सैलों में मनोवैज्ञानिक रूपसे क्या अंतर है?
- इनमें अधिक अंतर नहीं है, पौधों के प्रोटोप्लाज्मिक सैलों में एव्डोप्लाज्मिक आवरण नहीं होता जबकि मनुष्यों में होता है। एन्डोप्लाज्मिक आवरण मानव संवेदनाओं को अंकित करता है जिससे मानव मन अधिक सूक्ष्म और ग्रहणषील बनता है।
6. सेन्टीमेंट या मनोभावना क्या हैं?
- उचित और अनुचित का विभेदन किये बिना ही अंधों की तरह दौड़ पडना सेंटीमेंट कहलाता हैं। उचित और अनुचित का भेद बताने वाला साधन समझदारी कहलाता है। जब मानव उचित और अनुचित का निर्णय कर उचित रास्ता पकड़ लेता है तो उसे विवेक कहते हैं।
7. इन्सटिंक्ट या सहजबोध क्या है?
- पीनियल और पिट्यूटरी ग्लेंड को छोड़कर जब सेंटीमेंट या मनोभावनाएं, प्रकट होने के लिये अन्य ग्लेंड या उपग्लेंड का सहारा लेती हैं तो उसे सहजबोध कहते हैं।
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